औरों को लुभाने के चक्कर में,
कुछ और ही होता चला गया,
उनकी नज़रों में उठने के लिए,
खुद ही गिरता चला गया।
पाया तो कुछ भी नहीं इस पागल दौड़ में,
खुद ही को खोता चला गया।
कुछ और ही होता चला गया,
उनकी नज़रों में उठने के लिए,
खुद ही गिरता चला गया।
पाया तो कुछ भी नहीं इस पागल दौड़ में,
खुद ही को खोता चला गया।
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